राम मंदिर का पूर्ण ज्ञान

500 वर्षों के इंतजार को दूर करते हुए श्री अयोध्या जी में श्री राम जन्मभूमि घर प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर को हम सब अपनी आखों से बनते हुए देख रहे है। राममंदिर का निर्माण होना ही रामराज्य की कल्पना को पुष्ट करता है। अयोध्या भगवान श्रीराम की प्रिय नगरी है और इसे दुनिया की सबसे सुंदर नगरी के रूप में विकसित करने के लिए डबल इंजन की सरकार संकल्पबद्ध है।

अयोध्या में आत्मिक सुख की अनुभूति देने वाला भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर आकार ले चुका है। भावनाओं को शब्द देना मुश्किल है। भव्य मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी जैसे-जैसे समीप आ रही है, वैसे-वैसे देश-दुनिया के रामभक्तों में प्रभु दर्शन की आतुरता भी बढ़ रही है। देश-दुनिया के रामभक्त पलक पांवड़े बिछाकर जिस ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्पों से 22 जनवरी को वह साकार होने वाला है। इसके साथ ही अयोध्या ने विकास की वह सीढ़ियां चढ़ी हैं, जिसकी कल्पना तक लोगों ने नहीं की थी। अयोध्या नगरी दिव्यता, भव्यता और नव्यता की पर्याय बनने जा रही है। प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण तीन मंजिला हो रहा है, जो पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है। मुख्य गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति होगी और पहली मंजिल पर श्रीराम दरबार होगा है।

  • मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
  • मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट बोडाई 250 फीट तथा ऊंचाई 167 पीट रहेगी।
  • मंदिर न मंजिला होगा। मंजिल की कई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होगे।
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप। श्री रामलला सरकार का विग्रह) तथा प्रतापर श्रीराम दरबार होगा।
  • मंदिर में पाच मंडप होगे नृत्य मंडप रंग महए सभा मंत्र प्रार्थना मंडप कीर्तन मंडप ।
  • खभी व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की तस्वीर भी लगाई गई हैं । कलाकृतियां उकेरी जा रही है।
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिहबार से होगा।
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में देवलिट की व्यवस्था की गयी है।
  • मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा बनाया जा रहा है। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर उबा चौड़ाई 14 फीट होगी।
  • परकोटा के बारों कोनों पर सूर्यदेव, माँ भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित बार मंदिरों कर निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में या अन्नपूर्ण दक्षिणी भुज में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
  • मंदिर के सभीय पौराणिक काल कर सीताकृय विद्यमान रहेगा।
  • भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीणों द्वार किया गया है तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
  • मंदिर को घरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।

मंदिर परिसर में स्नानकार, शौचालय यश बेसिन ओपन टेप्स आदि की सुविधा भी मिलेगी।

मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परमारानुसार क स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुत 70 एकड क्षेत्र में 70 प्रतिशत क्षेत्र सदा हरित रहेगा।
नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में प्रभु श्री रामलला की मूर्ति को इस प्रकार से स्थापित किया जा रहा है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं उनका अभिषेक करेंगे। भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेगी। स्थापना के लिए रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित कराई गई हैं। इनमें से दो श्याम वर्णी शिला से निर्मित हैं और एक संगमरमर से। भूतल में अकेले रामलला की मूर्ति स्थापित होगी, किंतु प्रथम तल पर श्रीराम के साथ सीता, तीनों भाई एवं हनुमान जी की प्रतिमा भी
स्थापित होगी। देश के सुप्रसिद्ध तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग-अलग किया है, जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है। चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है। श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में न केवल विष्णु की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है, बल्कि उसमें पांच साल के बच्चे की मासूमियत भी है। चेहरे की कोमलता, आंखों की कृति, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है। 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है।

16 जनवरी से शुरू होगी प्राण-प्रतिष्ठा विधि मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम 16 जनवरी से प्रारंभ कर दिया

जाएगा। 17 जनवरी को मूर्ति के साथ अयोध्या धाम में भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी। 18 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा की विधि प्रारंभ होगी। 19 जनवरी को अग्नि स्थापना की जायेगी। 20 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह को सरयू से लाए गए जल से पवित्र किया जायेगा। 21 जनवरी को रामलला को 125 कलशों से दिव्य स्नान कराया जाएगा। 22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में होगी प्राण-प्रतिष्ठा प्रभु श्रीराम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेगा। साथ ही अगर कोई उस जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा।
राम मंदिर के भूतल पर लगने वाले कपाटों को स्वर्ण मंडित करने के लिए सोने की परत निर्मित की जा रही है। इसे तांबे की शीट पर जड़ा जा रहा है। चार कपाटों पर लगने वाली गोल्डन शीट बन गई है। भूतल पर लगने वाले 18 में से चार कपाटों को इन्हीं शीटो से स्वर्ण मंडित किया जा रहा है। कपाटों पर सोना जड़ने के लिए मोल्डिंग बना ली गई है। इस तरह प्रत्येक कपाट के लिए भिन्न-भिन्न गोल्डन शीट बनाई जा रही है। मंदिर के तीन तलों पर कुल 44 कपाट लगाए जाएंगे। एक कपाट स्वर्ण मंडित कर दिया गया है।

श्रीराम मंदिर भव्यता के साथ भारतीय परंपरा एवं तकनीक का भी पर्याय बन रहा है। मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और नींव के ऊपर कंक्रीट का भी प्रयोग नहीं किया गया गया है। निर्माण की तकनीक की विशिष्टता नींव से ही निहित है। मंदिर की नींव चार सौ फीट लंबे एवं तीन सौ फीट चौड़े विशाल भूक्षेत्र पर मोटी रोलर कांपेक्टेड कंक्रीट की 14 मीटर मोटी कृत्रिम चट्टान ढाल कर की गई है।
परकोटे में मुख्य मंदिर के साथ होंगे अन्य 11 मंदिर होंगे ।

लगभग 75 एकड़ के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भव्य राम मंदिर के साथ संपूर्ण सांस्कृतिक उपनगरी विकसित हो रही है। मुख्य मंदिर तो तीन एकड़ के क्षेत्र में निर्मित किया जा रहा है, किंतु मंदिर का परकोटा आठ एकड़ का है। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा है, जिसकी लंबाई 732 मीटर तथा चोड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर भगवान सूर्य, मां भगवती, गणपति एवं भगवान शिव के मंदिर तथा परकोटा में ही महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी एवं देवी अहिल्या का भी मंदिर निर्मित होना है, जबकि शेष परिसर में श्रीरामकुंड यज्ञशाला, अनुष्ठान मंडप, वीर मारुति की विशाल प्रतिमा, श्रीरामतीर्थ सत्संग भवन सभागार, गुरु वशिष्ठ पीठिका, वेद-पुराण, रामायण एवं संस्कृति अध्ययन-अनुसंधान अनुक्षेत्र, ध्यान निकुंज, मुक्ताकाशी मंच, रामदरबार प्रोजेक्ट थिएटर, कौशल्या वात्सल्य मंडप, बहुआयामी चलचित्र शाला-रामांगण, ग्रंथागार, आदर्श गोशाला, बहुतलीय धर्मशाला एवं विश्रामालय, संगीतमय फव्वारा, भोग प्रबंधन लघु क्षेत्र, माता सीता रसोई वृहद अन्न क्षेत्र तीर्थ, बैंक एटीएम, आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र, जलाशय, उद्यान, यात्रियों के लिए अमानती कक्ष अथवा यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण हो रहा है। यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम चरण में 25 हजार की क्षमता वाले सुविधा केंद्र का निर्माण हो रहा है। परिसर में सौर ऊर्जा विद्युत उपकेंद्र का संचालन शुरू हो चुका है।

छह इंच ऊंचे, एक मीटर से अधिक व्यास के 392 अष्टकोणीय स्तंभ भी लगने हैं। भूतल के 166 स्तंभ पहले ही स्थापित हो चुके हैं। प्रथम तल के स्तंभ भी यथास्थान लगने लगे हैं। इस तल पर 144 स्तंभ लगने हैं। कुल मिलाकर 392 में से आधे से अधिक तैयार हो चुके हैं, जबकि दूसरे तल पर 82 स्तंभों की स्थापना होगी। प्रत्येक स्तंभ पर 16 देवी-देवताओं की मूर्तियां भी उत्कीर्ण की जा रही हैं।

20 फीट लंबा एवं इतना ही ऊंचा तथा चौड़ा अष्टकोणीय गर्भगृह भव्यता का पर्याय है।

पांच उप शिखर में से नृत्य एवं रंग मंडप के ऊपर का उप शिखर आकार ग्रहण कर चुका है। मंदिर के दाहिनी तथा बाईं भुजा पर समानांतर स्थापित भजन एवं कीर्तन मंडप के ऊपर का भी उप शिखर आकार लेने लगा है। प्राण प्रतिष्ठा तक इन दोनों उप शिखर का भी निर्माण पूर्ण हो जायेगा।

राम मंदिर भव्यता के विविध सोपान से सज्जित हो रहा है। रामलला के विग्रह की भव्यता दिन-प्रतिदिन निखरती जा रही है। आठ एकड़ के परकोटे में निर्मित हो रहा मंदिर 161 फीट ऊंचे शिखर सहित पांच उप शिखरों से युक्त होगा। तीन तल के मंदिर को पूर्णता तो दिसंबर 2024 तक मिलेगी, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर के जिस भूतल में रामलला स्थापित होंगे, वह तैयार है। भूतल का ढांचा तो तीन माह पूर्व ही निर्मित किया जा चुका

गर्भगृह की साथ वह आधार पीठ भी तैयार है, जिस पर रामलला के विग्रह की स्थापना की जाएगी। यह आधारपीठ संगमरमर से निर्मित कमल के फूल की आकृति में है। खगोलीय वैज्ञानिकों ने इसकी ऊंचाई इस तरह समायोजित की है कि सिंहासन पर स्थापित विग्रह का ललाट प्रत्येक राम जन्मोत्सव के अवसर पर सूर्य की रश्मियों से अभिषिक्त होगा।

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